हर एक की जिंदगी में कभी न कभी मुनाफा और कभी गिरावट का सामना करना पड़ता है। यही सीधा-सादा सच्चाई है, जो हमें यहाँ तक ले आई है। भारत में ‘यूनिकॉर्न’ कंपनियों की संख्या, जिनका मूल्य 1 अरब डॉलर से अधिक है, पहली बार चार साल में 67 से कम हो गई है। यह जानकारी एक रिपोर्ट में दी गई है।
भारतीय स्टार्टअप्स की गिरावट और महत्व
‘हुरुन वैश्विक यूनिकॉर्न सूचकांक 2024’ के अनुसार, भारत में यूनिकॉर्न कंपनियों की संख्या कम हो गई है, लेकिन यह देश अब भी यूनिकॉर्नों का तीसरा सबसे बड़ा केंद्र है। इस रिपोर्ट के अनुसार, शिक्षा-प्रौद्योगिकी कंपनी बायजू ने अब यूनिकॉर्न के दर्जे से बाहर हो गई है।
बायजू की मूल्यांकन में हुई इस गिरावट ने इसे दुनिया की किसी भी स्टार्टअप के साथ तुलना में सबसे बड़ी गिरावट वाली कंपनी बना दिया है। हुरुन रिपोर्ट के चेयरमैन और मुख्य शोधकर्ता रूपर्ट हुगेवर्फ ने बायजू को बड़े पैमाने पर मीडिया का ध्यान आकर्षित करने वाली कंपनी के रूप में उभारा है, हालांकि, उन्होंने यह भी कहा है कि ऐसी कंपनियाँ अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण होती हैं।
यूनिकॉर्न का अर्थ और उनकी महत्वपूर्णता
‘यूनिकॉर्न’ कंपनियाँ वे स्टार्टअप्स होते हैं जिनका मूल्यांकन 1 बिलियन डॉलर से अधिक होता है। इनके भारतीय रुपयों में अधिकतम मूल्य 8000 करोड़ से अधिक होता है। वेंचर कैपिटल कंपनियों में ‘यूनिकॉर्न’ शब्द का उपयोग अक्सर होता है। यूनिकॉर्न कंपनियों में ज्यादातर पैसा निजी निवेशकों या उद्यम पूंजीपतियों से आता है।
रिपोर्ट के अनुसार, स्विगी और फैंटेसी गेमिंग कंपनी ड्रीम11 भारत की सबसे मूल्यवान यूनिकॉर्न कंपनियों में हैं, जिनकी कीमत 8-8 अरब डॉलर है। इनके बाद रेजरपे आता है, जिसका मूल्य 7.5 अरब डॉलर है। हुरुन इंडिया के मुख्य शोधकर्ता अनस रहमान जुनैद ने बताया कि भारतीय कंपनियों की संख्या में गिरावट के बावजूद उन्हें वित्तीय लाभ के बावजूद निवेश में कमी आ रही है।
देश के बाहर कंपनी शुरू करने की प्रवृत्ति ने भी भारत के लिए संभावनाओं को नुकसान पहुंचाया है। भारतीय संस्थापकों ने देश के बाहर 109 यूनिकॉर्न शुरू किए, जबकि देश के भीतर उनकी संख्या 67 है।
यह संख्याएँ दिखाती हैं कि भारत की आर्थिक दृष्टि से कई उत्कृष्ट कंपनियाँ विकसित हो रही हैं, लेकिन निवेश की कमी इस क्षेत्र में एक चुनौती हो सकती है।
अतः, सरकार और निजी क्षेत्र को साथ मिलकर इस समस्या का समाधान करने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है। यह सुनिश्चित करेगा कि भारत के अभियान्ता और उद्यमियों को आवश्यक संसाधनों का सही उपयोग करने का मौका मिले और उन्हें सफलता की ऊँचाइयों तक पहुंचाए।