दिलजीत दोसांझ की नई फिल्म ‘चमकीला’ ने उत्साहित फिल्म प्रेमियों को अपनी कहानी में खींच लिया है। इस फिल्म में अमर सिंह ने अपनी प्रतिभा का परिचय दिया है और उनकी अदाकारी ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया है। फिल्म की रिलीज के बाद, एक बड़ा प्रश्न लोगों के मन में उठा – अमर सिंह चमकीला पर हमला होने के बाद क्या बोले?

Who Killed Chamkila and Amarjot?
8 मार्च, 1988 को AK47 से लैस मोटरसाइकिल सवार हमलावरों ने अमरजोत और चमकिला की हत्या कर दी। आज तक, उनके हत्यारे अज्ञात हैं, और मामला अनसुलझा है। हालाँकि, उन्हें क्यों मारा गया, इसके बारे में कई सिद्धांत हैं।
मेशमपुर में उस वक्त अमर सिंह की फिल्म के पोस्टर भी लगे थे जिसे हम शो के बाद सिनेमाघर में देखने जाने वाले थे. तभी कुछ लोगों ने हम पर गोलियों से हमला करना शुरू कर दिया. उस वक्त सिर्फ मैं, अमर और अमरजोत कार में थे. तभी एक नकाबपोश हमलावर आया और उसने अपनी मशीन गन ने अमरजोत पर गोलियां दागनी शुरू कर दीं।
इस हमले के पीछे के असली उद्देश्य को लेकर कई अविश्वसनीय कथाएँ फैल गईं। कुछ कहते हैं कि यह एक राजनीतिक घमासान था, जबकि अन्य इसे एक दुश्मनता के परिणाम के रूप में देखते हैं। चमकिला के गानों का व्यापक लोकप्रियता उन्हें कई दुश्मनों का निशाना बना सकती थी।
यह अपराधिक मामला अब भी न्यायिक प्रक्रिया के अधीन है, लेकिन अभी तक किसी भी सटीक आकार में दोषियों की पहचान नहीं हुई है। समय के साथ, मामले की जांच और उसके अदालती समाधान की उम्मीद है, जिससे कि चमकिला और अमरजोत के परिवार को न्याय मिल सके।
इस अपराध की घटना ने संगीत और कला जगत को गहरी आहति पहुंचाई, और चमकिला की अनमोल आवाज़ को हमेशा के लिए हमसे छीन लिया गया। उनकी शैली, उनका संदेश और उनकी आवाज़, सभी कुछ एक अज्ञात हमले में गुम हो गया।
हालांकि, उम्मीद की किरण है कि न्याय के प्रक्रिया से जल्द ही अपराधियों को सजा मिलेगी और चमकिला और अमरजोत के परिवार को शांति मिलेगी। उनकी अमूल्य यादें हमेशा हमारे दिलों में बसी रहेंगी, और उनका कला सदैव हमें प्रेरित करता रहेगा।
सिंगर अमर सिंह चमकीला और उनकी पत्नी अमरजोत की मौत कैसे हुई
संगीत की धुन में अमरता के राजा, अमर सिंह चमकीला, और उनकी साथी, अमरजोत कौर को एक अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण घटना में खो दिया गया। 1988 के मई के दिन, पंजाब के मेशमपुर में, उन्हें कुछ बाइक सवार अपराधियों ने गोलियों से छलनी कर दिया।
इस अंतिम संघर्ष की कहानी को उनके बैंड के ढोल वाले, लाल चंद ने साझा किया। उन्होंने कहा, “मौत के ठिक पहले ही अमर सिंह चमकीला को जान से मारने की धमकियां मिली थीं। यह कुछ राजनीतिक विवादों के कारण हुआ था।”
चमकीला की सक्सेस ने कई आंखों को फासिनेट किया, लेकिन साथ ही कुछ लोगों की नजरों में वह कुछ पॉलीटिकल कॉन्फ्लिक्ट की चरम स्थिति था। 1984 के संघर्षों के समय, उन्होंने अपनी जान की खातिर कठिनाईयों का सामना किया था।
लाल चंद ने जारी किया, “उन्होंने हमें बताने का वादा किया था कि उनकी जान के पीछे कौन पड़ा था।”
यह घटना संगीत इंडस्ट्री के लिए एक अविस्मरणीय क्षति है, जिसने एक अत्यंत प्रतिभाशाली और प्रेरणास्त्रोत संगीतकार को खो दिया। अमर सिंह चमकीला की यादें हमेशा हमारे दिलों में बसी रहेंगी, जो उनके उत्कृष्ट संगीत और उनके लोकप्रिय गानों के माध्यम से हमें मिलती रहेगी।
इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के पीछे के रहस्य की खोज जारी है, और उम्मीद है कि सच्चाई कुछ दिनों में सामने आएगी। चमकीला और अमरजोत कौर की यह दुर्भाग्यपूर्ण मौत संगीत इंडस्ट्री के लिए एक अध्याय की तरह है, जो हमें स्मृति में सजीव रहेगा।