भारत में बाघों का घर रहा है, लेकिन एक वक्त देश में टाइगर की संख्या घटकर 268 रह गई थी. तब बाघों को बचाने के लिए प्रोजेक्ट टाइगर शुरू किया गया. नतीजा आज देश में 54 टाइगर रिजर्व हैं. इसके साथ ही बाघ अब उन इलाकों में भी नजर आने लगे हैं, जहां से कभी लुप्त हो गए थे.
भारतीय वन सेवा के अधिकारी सुशांत नंदा (IFS Susanta Nanda) ने सोशल मीडिया पर बताया कि हाल ही में सुंदरगढ़ के जंगल में भी एक राजसी बाघ देखा गया. तकरीबन 2 दशक में यह पहला मौका है, जब यहां टाइगर देखा गया है. यह राजसी रॉयल बंगाल टाइगर है. यह सैकड़ों किलोमीटर की दूरी पार कर सुंदरगढ़ के जंगल में आया है. अधिकारी इस पर नजर रख रहे हैं. 2020 में यहां दुर्लभ काले बाघ देखे गए थे.
सोशल मीडिया एक्स पर नंदा ने लिखा, ‘यह बताते हुए खुशी हो रही है कि लगभग दो दशकों के बाद सुंदरगढ़ जिले में एक बाघ को कैमरे में कैद किया गया है. एनटीसीए के टाइगर सेल ने इसकी पुष्टि की कि यह संजय डुबरी टीआर से बाहर चला गया है. ओडिशा में अपना नया क्षेत्र बनाने के लिए उसने कुछ सौ मील की यात्रा की होगी. स्वागत है.’
भारत में टाइगर की संख्या काफी तेजी से बढ़ रही है. केंद्र सरकार की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले चार साल में ही 200 से ज्यादा बाघ बढ़ गए हैं. 1973 में जहां देश में बाघों की संख्या सिर्फ 268 थी, वहीं 2022 में यह संख्या 3167 तक पहुंच गई है. मध्य प्रदेश इस मामले में शीर्ष पर है. वहां 785 बाघ मौजूद हैं. दूसरे नंबर पर कर्नाटक है, जहां 563 बाघ हैं. उत्तराखंड में 560, तो महाराष्ट्र में 444 इनकी संख्या है.
इस संख्यात्मक वृद्धि के पीछे कई कारण हैं। पहले तो, प्रोजेक्ट टाइगर के तहत वन्यजीव और उनके आवासों की संरक्षा में बड़ी धाराएं की जा रही हैं। साथ ही, जनता को जागरूक किया जा रहा है कि वन्यजीव संरक्षण में उनकी भूमिका क्या है। इसके अलावा, बाघों की संख्या में वृद्धि के लिए प्रदेशों के बीच सहयोग भी महत्वपूर्ण है।
मध्य प्रदेश, कर्नाटक, उत्तराखंड, और महाराष्ट्र के बाघ अभयारण्यों में नए प्रोजेक्ट्स और स्कीमों के तहत संरक्षण का काम हो रहा है। सरकारों के अलावा, गैर सरकारी संगठन और वन्यजीव संरक्षण संगठनों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
बाघों की बढ़ती संख्या एक प्रकार की जीत का संकेत है। यह दिखाता है कि हम अपने वन्यजीव की संरक्षा में सफलता की ओर बढ़ रहे हैं। इससे न केवल वन्यजीवों की संरक्षा होगी, बल्कि यह भारतीय वन्यजीव धरोहर की संरक्षा में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा।
यह सुनिश्चित करने के लिए कि हमारी आने वाली पीढ़ियाँ भी बाघों की सुंदरता और संरक्षण का आनंद उठा सकें, हमें अब और भी मेहनत करनी होगी। जब हम सभी मिलकर काम करेंगे, तो हम बाघों को संरक्षित रख सकेंगे, और एक सुंदर और समृद्ध भविष्य की दिशा में कदम बढ़ा सकेंगे।